झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन एवं पवित्रम सेवा परिवार के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है।यह दिन महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक,सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने और जेंडर समानता की ओर आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए समर्पित है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और समान अवसरों की ओर दुनिया भर में बदलाव लाना है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास 1900 के दशक की शुरुआत में जुड़ा हुआ है। इसका पहला आयोजन 1909 में हुआ था जब अमेरिका में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई। 1910 में डेनमार्क की कोपेनहेगन शहर में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी महिला सम्मेलन में महिला अधिकारों के आंदोलन को और जोरदार रूप से प्रस्तुत किया गया और तब से यह दिन एक वैश्विक महत्व का दिन बन गया। 1977 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिन को आधिकारिक रूप से मनाने का निर्णय लिया गया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना और समाज में उनके योगदान की सराहना करना है। यह दिन महिलाओं को उनके संघर्ष, मेहनत और सफलता के लिए सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन के माध्यम से हम महिलाओं की समस्याओं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, हिंसा, लैंगिक असमानता, और कार्यस्थल पर भेदभाव आदि पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हर साल इस दिन का एक विशिष्ट विषय निर्धारित किया जाता है, जो दुनिया भर में महिलाओं के लिए नए विचारों और परिवर्तनों को प्रेरित करने का काम करता है। महिला दिवस का इस वर्ष का थीम *कार्रवाई में तेजी लाना लैंगिक समानता में तीव्र प्रगति का आवाह्न करता है* हमें यह याद दिलाता है कि महिलाएं समाज की मजबूत धुरी हैं और उनके बिना कोई भी समाज या राष्ट्र सशक्त नहीं हो सकता। हमें महिलाओं के योगदान को पहचानने और उन्हें समान अधिकार देने की आवश्यकता है। साथ ही, यह दिन समाज में उन सुधारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है जिनकी आवश्यकता महिलाओं के जीवन को बेहतर और समान बनाने के लिए है। इस दिन, विभिन्न देश और संगठन महिलाएं के प्रति अपनी सराहना व्यक्त करने के लिए कार्यक्रम, सेमिनार, रैलियां और कार्यशालाएँ आयोजित करते हैं। इस तरह के आयोजनों से समाज में महिला सशक्तिकरण और समानता के प्रति जागरूकता बढ़ती है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की समानता, सम्मान और अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष और प्रयासों का प्रतीक है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं जहाॅ हर महिला को अपने सपनों को पूरा करने का पूरा अधिकार हो।
महिला दिवस महिलाओं की समानता, सम्मान और अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष और प्रयासों का प्रतीक: संजय सर्राफ
