रांची:- झारखण्ड में साहित्य अकादमी की स्थापना को लेकर संघर्षरत संस्था झारखण्ड_साहित्य_अकादमी_स्थापना-संघर्ष_समिति ने इस वर्ष प्रदेश के पुरोधाओं की स्मृति में स्मृति_सम्मान-2025 कुछ दिन पहले देने की घोषण की थी। जिसे तृतीय अलंकरण समारोह के रूप में 13 अप्रैल 2025 को राँची प्रेस क्लब में सफलता पूर्वक संपन्न किया गया | झारखण्ड साहित्य अकादमी स्थापना संघर्ष समिति लेखकों के सृजन संघर्ष को पहचान देकर अपनी मांग की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहती है। संस्था ने बहुचर्चित और वरिष्ठ साहित्यकार अशोक_प्रियदर्शी को समग्र साहित्यिक अवदान के लिए बिरसा_मुंडा_शिखर_सम्मान 2025 से सम्मानित किया। सिर्फ इस एक सम्मान से झारखण्ड का पूरा साहित्य जगत सम्मानित महसूस कर रहा है। इसके बावजूद संस्था ने कई अन्य नामों को भी सम्मानित किया , जिनमें एक नाम मेरा भी है। साहित्य में नवलेखन के लिए संतोष समर को नवल सृजन सम्मान 2025 से सम्मानित किया |उन्होंने धन्यवाद देते हुए कहा कि संस्था की निर्णायक मंडली का विशेष आभार |आप सभी विद्वत जनों का स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहे | साहित्य वह सशक्त माध्यम है, जो समाज को व्यापक रूप से प्रभावी बनाता हैं। यह समाज में प्रबोधन की प्रक्रिया का सूत्रपात है। साहित्य लोगों को प्रेरित करने का कार्य करता है तो वहीं असत्य का दुखद अंत कर सीख भी देता है। अच्छा साहित्य व्यक्ति और उसके चरित्र निर्माण में भी सहायक होता है। यही कारण है कि समाज के नवनिर्माण में साहित्य की केंद्रीय भूमिका होती है। साहित्य समाज को संस्कारित करने के साथ-साथ जीवन मूल्यों की भी शिक्षा देता है एवं कालखंड की विसंगतियों, विद्रूपताओं एवं विरोधाभासों को रेखांकित कर समाज को संदेश प्रेषित करता है, जिससे समाज में सुधार आता है और सामाजिक विकास को गति मिलती है। हितेन सह इति सष्टिमूह तस्याभाव: साहित्यम्। यह वाक्य संस्कृत का सूत्र-वाक्य है जिसका अर्थ होता है साहित्य का मूल तत्त्व सबका हितसाधन है।
नवल सृजन सम्मान 2025 से सम्मानित हुए हास्य व्यंग के कवि संतोष समर
