रघुनाथ महतो के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता: सुदेश कुमार महतो

The Ranchi News
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रांची। झारखण्ड के वीर सपूत एवं महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद रघुनाथ महतो ने मानभूम से लेकर धालभूम नीमडीह, सिल्ली और जंगलमहल के इलाकों में अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ाई का नेतृत्व किया था। जब झारखंड के नायकों की अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की चर्चा होती है, तो इस सूची में 1769 का शहीद रघुनाथ महतो के नेतृत्व में चुआड़ विद्रोह का नाम सबसे पहले आता है। ‘अपना गांव-अपना राज, दूर भगाओ विदेशी राज’ नारे का उद्घोष करने वाले झारखंड की माटी के वीर सपूत शहीद रघुनाथ महतो के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

उक्त बातें झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने पार्टी के केंद्रीय कार्यालय शहीद रघुनाथ महतो को माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही।

ज्ञात हो कि 1765 में बंगाल, बिहार एवं ओड़िशा की दीवानी हासिल करते ही अंग्रेज मनमाने ढंग से कृषि राजस्व, जबरन कर वसूलने तथा मालगुजारी बढ़ाने लगे। शोषण एवं जुल्म के खिलाफ शहीद रघुनाथ महतो ने किसानों, ग्रामीणों एवं आम जनमानस को संगठित किया तथा विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष का नया अध्याय लिखा।

सुदेश महतो ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के काले कानूनों के खिलाफ जनमानस को संगठित कर चुआड़ विद्रोह का शंखनाद करनेवाले प्रथम स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद शहीद रघुनाथ महतो को इतिहास के पन्नों में संक्षिप्त परिचय दिया गया। हम इस परिचय को बड़ा करने हेतु प्रतिबद्ध हैं और इस दिशा में निरंतर प्रयास जारी है।

मौके पर युवाओं से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि अलग झारखण्ड राज्य मिलना ही पर्याप्त नहीं, अपने लोगों के हितों के लिए हमें लड़ते रहना होगा। झारखण्डियों को आगे ले जाना ही हमारी पहली और आखिरी कोशिश होनी चाहिए।

इस अवसर पर मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत, झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर, संजय मेहता, हरीश कुमार, ओम वर्मा, चेतन कुमार, अजीत कुमार, अमित यादव आदि ने भी शहीद रघुनाथ महतो को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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