झारखंड के *स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने स्वास्थ्य मंत्री पद की शपथ लेते ही एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया*, जिसने पूरे राज्य में सराहना और प्रशंसा की लहर पैदा कर दी। मंत्री डॉ. अंसारी ने स्पष्ट और सख्त निर्देश जारी किए कि *किसी भी परिस्थिति में मृतक का शव निजी अस्पतालों में रोककर नहीं रखा जाएगा। हर हाल में शव परिजनों को सौंपना अनिवार्य होगा।*
इस फैसले ने राज्य के हजारों परिवारों को राहत पहुंचाई है। असमय अपनों को खोने वाले *परिजनों के लिए यह निर्णय एक बड़ी संबल और सहारा बनकर सामने आया*। राज्यभर से लगातार लोगों ने मंत्री जी के इस संवेदनशील और मानवीय निर्णय के लिए हृदय से धन्यवाद और आभार व्यक्त किया है।
इस मौके पर जब डॉ. इरफान अंसारी से पूछा गया कि उन्होंने यह निर्णय क्यों लिया, तो उन्होंने कहा की *मैं मंत्री बाद में हूं, पहले एक डॉक्टर हूं। एक डॉक्टर होने के नाते मैं मरीजों और उनके परिजनों के दुख, दर्द और पीड़ा को भलीभांति समझ सकता हूं। मैंने अपनी आंखों से देखा है कि किस तरह अस्पताल शव को पैसे के अभाव में रोक लेते थे और परिवार लाचार, बेबस होकर अस्पतालों के दरवाजे पर बिलखते रहते थे। तभी मैंने मन में ठान लिया था कि अगर मुझे भविष्य में कभी ऐसी जवाबदेही मिलेगी, तो मैं सबसे पहले उन परिवारों को राहत दूंगा जो आर्थिक तंगी के कारण अपनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाते।”*
डॉ. अंसारी ने आगे बताया कि मंत्री पद की शपथ लेते ही उन्होंने यह निर्णय लागू किया और राज्य के तमाम अस्पतालों ने इसका अनुपालन किया। खास बात यह है कि *उन्होंने केंद्र सरकार को भी इस निर्णय की जानकारी दी थी, और अब केंद्र ने भी इस फैसले को मान्यता दी है।*
उन्होंने *झारखंड के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी का भी आभार व्यक्त* करते हुए कहा की मैं मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी का धन्यवाद करता हूं, *जिनकी दूरदर्शी सोच और जनहितकारी नेतृत्व के कारण आज मैं स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके विजन को आगे बढ़ा रहा हूं। राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक बदलाव आया है और आने वाले दिनों में और भी क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेंगे।*
यह निर्णय केवल *एक आदेश नहीं, बल्कि एक मानवीय पहल है – जो संवेदना, सहानुभूति और न्याय की बुनियाद पर आधारित है*। डॉ. अंसारी का यह कदम झारखंड में *एक नई स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव रख रहा है – जहां इंसानियत सबसे ऊपर है।*