राँची: एपीडा के सौजन्य से फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की अहारी उप समिति द्वारा आज चैंबर भवन में झारखण्ड कृषि निर्यात कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में उद्योग निदेशक सुशांत गौरव, कृषि निदेशक डॉ0 ताराचंद, एयरपोर्ट डायरेक्टर आर.आर मौर्या, एपीडा के रिजनल हेड एस.के मंडल, बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति सुनिलचंद्र दुबे, डीजीएफटी के विष्णुकांत, वेजफेड के एमडी अभिनव मिश्रा, कृषि विभाग के स्पेशल सचिव प्रदीप हजारे, एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन एजेंसी के डिप्टी डायरेक्टर सुश्री पपी ख्वास के अलावा एचडीएफसी, केनरा और जेआरजी बैंक के उच्चाधिकारी उपस्थित थे। कार्यशाला में प्रदेश के लगभग सभी जिलों के उद्यमी, ग्रामीण बेरोजगार, स्वयंसेवी संस्थान एवं कृषि उद्योग से संबंधित उद्यमियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यशाला दो सेशन में आयोजित की गई थी।
चैंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने कहा कि कृषि आधारित उद्योगों के विकास से हजारों लोगों के लिए रोजगार का सृजन संभव है और इसके माध्यम से राज्य की ग्रामीण स्थिति काफी मजबूत होगी। चैंबर का प्रयास है कि कृषि एवं कृषि उद्योग से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित विकास योजनाओं का लाभ राज्य के कृषकों, उद्यमियों, ग्रामीण बेरोजगार युवाओं, सेल्फ हेल्प ग्रुप एवं फॉमर्स प्रोड्यूसर तक सुगमता से दिलाया जा सके ताकि झारखण्ड में कृषि एवं कृषि आधारित उद्योग का विकास हो सके और यहां से पलायन एवं गरीबी का समाधान हो सके। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण हमारे राज्य से लाखों टन सब्जी, फल-फूल, चावल, इमली, फ्रोजन-डीहाइड्रेट मशरूम समेत कृषि उत्पादों के निर्यात की अपार संभावनाएं हैं, बावजूद इसके अनुकूल इकोसिस्टम उपलब्ध नहीं होने के कारण निर्यात में समस्या बनी हुई है। राज्य के सभी जिले, प्रखंड एवं गांव तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंच सके, इसका हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने राज्य में सिंगल विंडो सिस्टम के दुरूस्त नहीं होने पर भी चिंता जताई और उद्योग निदेषक से इस दिशा में आवष्यक कार्रवाई का आग्रह किया।
अहारी उप समिति के चेयरमेन आनंद कोठारी ने कहा कि प्रदेष में कृषि निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। यहां से हम लाखों टन सब्जियां, फल, फूल, लघु वनोपज, चावल, रागी, नाइजर, दाल, मूंगफली, अदरक, रतालू, औषधीय पौधे, इमली, शहद, मछली, मशरूम निर्यात करने की क्षमता है किंतु सुविधाजनक एवं जरूरी कृषि निर्यात अवसरंचना और निर्यात के लिए पर्याप्त इको सिस्टम उपलब्ध नहीं होने के कारण इस सेक्टर से जुडे उद्यमी, किसान इस अवसर के लाभ से वंचित हो रहे हैं। हमने संकल्प लिया है कि केंद्र व राज्य सरकार तथा कृषि उत्पाद निर्यात व्यापार के विषेषज्ञ व व्यापारियों के सहयोग से हम यहां के लाखों कृषिकों, युवाओं और उद्यमियों को निर्यात के माध्यम से स्वावलंबी बनायें। इसी उद्देश्य से चैंबर द्वारा हर एक अंतराल पर इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों से आग्रह किया कि राज्य से कृषि निर्यात को विकसित करने के लिए राज्य में अपीडा, डीजीएफटी, पेस्ट क्वराइनटाइन स्टेशन का कार्यालय अविलंब खुलवाया जाय। साथ ही बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से सब्जी, फल, फूल के निर्यात के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने कृषि विभाग से भी आग्रह किया कि राज्य के प्रत्येक जिले में अत्याधुनिक पैक हाउस की स्थापना की जाय तभी राज्य से कृषि निर्यात का हब बनाया जा सकेगा।
अपने संबोधन के दौरान उद्योग निदेशक सुशांत गौरव ने झारखण्ड एक्सपोर्ट पॉलिसी 2023 के प्रावधानों और मिलनेवाल अनुदान की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना से भी निर्यातकों को अवगत कराया। यह कहा कि इस योजना के तहत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता के साथ ही उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग आवश्यकताओं को पूरा करने और क्षमता निर्माण, अनुसंधान के माध्यम से सहायता सुनिश्चित करने के लिए भी तैयार किया गया है। यह भी कहा कि वन डिस्ट्रीक्ट-वन प्रोडक्ट के तहत झारखण्ड के 24 जिलों में 15 ओडीओपी उत्पादों की पहचान की गई है। संबंधित जिलों में पहचाने गये ओडीओपी उत्पादों के प्रसंस्करण से संबंधित उद्यमों को प्राथमिकता दी जायेगी।
कृषि निदेशक डॉ0 ताराचंद ने विभाग द्वारा दी जानेवाली सुविधाओं से अवगत कराते हुए निर्यात के संभावित क्षेत्रों में विभाग की ओर से हरसंभव सहयोग देने का भरोसा दिलाया। कार्यशाला के माध्यम से सरकार की योजनाओं के प्रति जागरूक करने के किये जा रहे प्रयासों के लिए उन्होंने झारखण्ड चैंबर के प्रयासों की सराहना करते हुए लार्ज स्केल पर राज्य के प्रत्येक जिले में ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन करने का सुझाव दिया। इसीजीसी के उप महाप्रबंधक नीरज गुप्ता ने कृषि निर्यात व्यापार के रिस्क को उनके कंपनी से कैसे सुरक्षित किया जायेगा, इसकी जानकारी दी।
कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सुनिलचंद्र दुबे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग के लिए कलस्टर दृष्टिकोण सबसे उपयुक्त तरीका है। यह भी कहा कि बीएयू और कृषि विभाग के सहयोग से राज्य में कृषि क्षेत्र में विस्तार और निर्यात की संभावनाओं को गति देने की हरसंभव पहल सुनिश्चित की जायेगी। विशेषज्ञों ने झारखण्ड में उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के माध्यम से आगे बढने के लिए भविष्य की रणनीतियों के बारे में जानकारी दी। डीजीएफटी के विष्णुकांत ने डीजीएफटी द्वारा निर्यातकों को दी जानेवाली सुविधाओं से अवगत कराया और विस्तृत में निर्यात संबंधित योजनाओं का कैसे लाभ लेना है, इसकी जानकारी दी। एचडीएफसी बैंक के मयंक दोसी, केनरा बैंक के अशोक सिन्हा और जेआरजी बैंक के रिजनल मैनेजर मुकेश वर्मा द्वारा कृषि एवं कृषि उद्योग व कृषि अवसंरचना में विकास के लिए दी जा रही लोन सहायता की जानकारी से अवगत कराया गया।
एयरपोर्ट डायरेक्टर आर.आर मौर्या ने बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से कारगो सुविधा की जानकारी देते हुए बताया कि पर्याप्त भूखंड की अनुपलब्धता के कारण एयपोर्ट का विस्तार नहीं हो रहा है। राज्य से निर्यात को बढ़ावा मिले, इसके लिए उन्होंने एयरपोर्ट पर कारगो टर्मिनल की आवश्यकता बताते हुए, इस दिशा में आवश्यक प्रयास करने के लिए आश्वस्त किया। यह कहा कि एयरपोर्ट पर एक कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध है किंतु वह पर्याप्त नहीं है। यदि आवश्यक लैंड मिल जाय, तब बडे स्तर पर कोल्ड स्टोरेज का निर्माण भी संभव है। कार्यशाला में सीआइपीएमसी की सह निदेशक प्रीति कुमारी ने कृषि निर्यात के लिए आवश्यक क्वारेनटाइन सर्टिफिकेशन के नियमों से अवगत कराया।
कार्यशाला के दौरान ही झारखण्ड के मुख्य कृषि निर्यातकों संजीव अरोडा, शषि भूषण टोप्पो और कुवम बहल को चैंबर द्वारा सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने अनुभव और इस क्षेत्र में उनके समक्ष आई चुनौतियों तथा सफलता के गुण से मौजूदा/नये निर्यातकों को अवगत कराया और सरकार से भी जरूरी मदद की मांग की। कार्यशाला में थोक कृषि निर्यातक-कोलकाता के इंद्रदीप दत्ता, गोपाल साहा और अब्दुल हमीद खान ने झारखण्ड से कृषि उपज के निर्यात की संभावनाओं पर अपने विचार साझा किये। एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन एजेंसी के डिप्टी डायरेक्टर सुश्री पप्पी ख्वास ने निर्यात की वैधानिक आवश्यकताएं, कृषि निर्यात की आवष्यकतानुसार क्वालिटी प्रोडक्शन के लिए तकनीकी सहायता और परीक्षण सुविधा की जानकारी दी। सभा में उपस्थित आगंतुकों द्वारा प्रश्न भी पूछे गये, जिसका संतोषप्रद जवाब दिया गया।
कार्यशाला का मंच संचालन मनीष पियूष, आदित्य कुमार ने किया। कार्यशाला में चैंबर महासचिव आदित्य मल्होत्रा, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल, सदस्य पूनम आनंद, रमेश साहू, राजीव चौधरी, एसके अग्रवाल, निकिता सिन्हा, प्रीति कुमारी, दिव्या बहल, सीमा खलखो, दिपेश अग्रवाल, विवेक सिंह, पवन कनोई, रंजीत गुप्ता, सुब्रत महतो, राम सोरेन, विष्णु महतो, ज्योतिप्रकाश गिरि, रिता महतो, योगेंद्र महतो, रितेष कुमार, सौरव सिन्हा, विकास कुमार, प्रवीण गुप्ता, राकेश गुप्ता, मनीषा वर्मा, आरके सिंह, सुनिल अग्रवाल, जगजीत सिंह, संजय टोप्पो, अनिल कुमार, प्रताप महतो, रोहित मंडल, अमित राय, सुमित कुमार के अलावा लोहरदगा, जमशेदपुर, देवघर, हजारीबाग, खूंटी से कृषि निर्यात क्षेत्र से जुडे व्यापारी, उद्यमी और किसान उपस्थित थे। उक्त जानकारी प्रवक्ता सुनिल सरावगी ने दी।