राँची:- आयुष्मान के मरीजों को इलाज ससमय एवं सुगमता से मिल सके इसका हर संभव प्रयास रिम्स द्वारा किया जा रहा है। मरीज की गंभीरता के अनुसार उनको इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। कई बार आयुष्मान योजना के तहत इलाज में विलंब के कई कारण हैं:
1. आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज हेतु पहले रजिस्ट्रेशन किया जाता है| रिम्स में बहुत से मरीज़ ऐसे होते हैं जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं होता है जिसके लिए राशन या आधार कार्ड के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराया जाता है| नए रजिस्ट्रेशन के अनुमोदन में कम से कम 12 घंटे का समय लग जाता है|
2. रजिस्ट्रेशन पश्चात आवश्यक रक्त जांच, ECG, Echo, कोरोनरी एंजियोग्राफी इत्यादि के रिपोर्ट पोर्टल में अनुमोदन हेतु जमा करनी होती है| इन रिपोर्ट के जमा होने के पश्चात इनके अनुमोदन में लगभग 6 घंटे या कभी कभी 24 घंटे भी लग जाते हैं|
3. अनुमोदन पश्चात, विभाग द्वारा स्टेंट व इम्प्लांट के इंडेंट हेतु मांगपत्र स्टोर को भेजा जाता है| स्टोर में इनकी अनुपब्लधता की स्थिति में, स्टोर प्रभारी या चिकित्सा पदाधिकारी (स्टोर) द्वारा इन वस्तुओं की अनुपलब्धता का उल्लेख करते हुए इंडेंट रजिस्टर पर हस्ताक्षर करना होता है|
4. स्टोर में अनुपलब्धता होने पर वर्तमान में आयुष्मान भारत योजना के मरीज़ों के लिए स्टेंट व इम्प्लांट अमृत फार्मेसी के माध्यम से मुहैया कराई जाती है जिसके लिए चिकित्सा अधीक्षक से अनुमोदन प्राप्त किया जाता है|
5. अमृत फार्मेसी द्वारा डिस्ट्रीब्यूटर को मांगपत्र भेजी जाती है जिसके पश्चात डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा इन वस्तुओं को उपलब्ध कराया जाता है| कई बार डिस्ट्रीब्यूटर कुछ consumables की उपलब्धता की कमी का हवाला देते हैं जिस कारण से भी इलाज ने विलम्ब होता है|
उपरोक्त उल्लिखित बाधाओं को दूर करने हेतु प्रबंधन द्वारा इन आवश्यक वस्तुओं के निविदा के माध्यम से क्रय हेतु रेट कॉन्ट्रैक्ट किया जा रहा है| निविदा की लम्बी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है और आर्डर दिए जा रहे हैं और 2 से 3 सप्ताह में स्टोर में उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी| सीमित संसाधन एवं मैनपावर की कमी के बावजूद प्रबंधन द्वारा स्टोर में अधिकतर वस्तुओं को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है| प्रबंधन ने पहले ही सभी स्टोर इंचार्ज को 6 महीने तक का स्टॉक उपलब्ध रखने के निर्देश दिए हैं|
निदेशक प्रो (डॉ) राजकुमार ने कहा कि, “किसी भी संस्थान के लिए सभी वस्तुओं को हर समय उपलब्ध कराना संभव नहीं है, यह बाज़ार खोलने जैसा है| SGPGI जैसी बड़ी संस्थान जहाँ एक फ्लोर में बने स्टोर को 100 से अधिक लोग संभाल रहे हैं और जहाँ सभी वस्तुएं भुगतान के आधार पर दी जाती हैं वहां भी शत प्रतिशत दवाइयाँ, consumables इत्यादी उपलब्ध नहीं रहती हैं|”
निदेशक ने कार्डियोलॉजी, हड्डी रोग, CTVS और ट्रामा सेंटर जैसे विभागों में आवश्यकता अनुसार आयुष्मान मित्र अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं|
साथ ही जांच रिपोर्ट में विलंब न हो इसको डिजिटल मोड से सम्बंधित चिकित्सक को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं|