रांची: आज से ख्रीस्त विश्वासियों के लिए चालीसा काल प्रारंभ हो गया है। इस अवसर पर महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने संत मारिया गिरजाघर में मिस्सा बलिदान अर्पित किया एवं सभी ख्रीस्त विश्वासियों के माथे पर शारीरिक जीवन की क्षण भंगुरता का स्मरण दिलाते हुए आशीष की गई राख का टीका लगाया।
प्रत्येक वर्ष ख्रीस्त विश्वासी राखबुध के दिन से चालीसे काल में प्रवेश करते हैं। चूंकि वे इस दिन अपने माथे पर राख का टीका लगाते हैं इसलिए इसे राखबुध के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष ख्रीस्त विश्वासी 13 अप्रैल 2025 को खजुर रविवार या पाम संडे को पवित्र सप्ताह में प्रवेश करेंगे। इस प्रकार 17 अप्रैल 2025 को पुण्य बृहस्पतिवार का दिन होगा। इस दिन प्रभु येसु ने अपने चेलों के पैर धोएं थे और गुड फ्राईडे 18 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। आज से चालीस दिनों तक ख्रीस्त विश्वासियों के विशेष प्रार्थना, उपवास एवं दान देने का समय होगा। विशेष कर प्रत्येक शुक्रवार को प्रभु येसु के दुख भोग का स्मरण करते हुए उपवास एवं परहेज़ करने के साथ साथ क्रूस रास्ता की धर्म- विधि सम्पन्न होगी। संत मारिया गिरजाघर में प्रत्येक शुक्रवार को दोपहर 12 बजे, शाम 4 बजे एवं शाम 5:30 बजे क्रूस रास्ता का समय रखा गया है। रांची कैथोलिक महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने आज राख बुध के दिन संत मारिया गिरजाघर में मिस्सा बलिदान अर्पित किया। उन्होंने अपने धर्मोपदेश में कहा कि “चालीसा काल अथवा लेंट सिर्फ दिखावा करने समय न रहे। जैसे बसंत के दौरान सभी पेड़ अपने पत्ते झाड़ देते हैं और इसके बाद उनमें नई पत्तियां आती हैं वैसे ही चालीसा काल में हमें अपने आप को नया बनाने की आवश्यकता है। शारीरिक जीवन क्षण भंगुर है इसलिए अनंत जीवन के लिए तैयारी करने का विषेश अवसर है चालीसा काल।” इस दौरान उन्होंने कारीतास इंडिया (एक चेरिटेबल संस्था) जो विपदाओं के शिकार लोगों की मदद करता है, के लिए लोगों से दान देने का आह्वान भी किया। इसके पश्चात महाधर्माध्यक्ष ने सभी पुरोहितों के माथे पर राख का टीका लगाया। इस मिस्सा बलिदान का सीधा प्रसारण रांची कैथोलिक महाधर्मप्रांत के मीडिया टीम द्वारा अपने यूट्यूब चैनल पर किया गया।
राखबुध के मिस्सा बलिदान में महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद, फाo जॉर्ज मिंज, कैरितास इंडिया के निर्देशक फाo एंथोनी फर्नांडिस, फ़ाo लूकस रून्डा, महाधर्माध्यक्ष के सेक्रेटरी फ़ा असीम मिंज, अन्य पुरोहितगण, धर्मबंधुगण धर्मबहनें एवं हज़ारों की संख्या ख्रीस्तीय विश्वासी उपस्थित रहे।