राँची:– ओड़िशा के कटकस्थित श्री श्री विश्वविद्यालय परिसर में सप्ताहभर चले अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद कार्यक्रम चरकायतन का समापन समारोह भव्य रूप से सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में लगभग 150 से अधिक विद्यार्थी और प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। इसका मूल उद्देश्य आयुर्वेद के पुनर्जागरण को प्रोत्साहित करना था। दुनिया भर में योग की तरह, चरक संहिता के अनुसरण में आयुर्वेद को कैसे लोकप्रिय बनाया जा सकता है, इस विषय पर देशभर से आए आयुर्वेद विशेषज्ञों ने विस्तृत चर्चा की। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के सहयोग से आयोजित इस चरकायतन सम्मेलन के समापन समारोह में राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ की कार्यक्रम निर्देशक डॉ. रिया गोयल ने वर्तमान समय में इसका महत्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। विद्यापीठ के आचार्य प्रोफेसर उपेन्द्र दीक्षित और प्रोफेसर संजय काटिमाटी ने चरकायतन आयोजन के संदर्भ को विस्तार से बताया। समापन उत्सव में श्री श्री विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तेजप्रताप ने आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार हेतु सतत कार्य करने के लिए कर्मिक निर्देशक स्वामी सत्यचैतन्य, कार्यकारी कुलसचिव प्रो. अनिल शर्मा और विभागीय डीन डॉ. प्रदीप पंडा को सम्मानित किया। इसी तरह डिप्टी डीन प्रो. दुर्गाप्रसाद दाश, वैद्य डॉ. उपेन्द्र दीक्षित, प्रोफेसर संजय काटिमाटी, डॉ. क्षीराब्दी, डॉ. अखिलेश कर, डॉ. लोपामुद्रा दास सहित अन्य विशेषज्ञों को भी सम्मानित किया गया। आयोजन समिति की ओर से डॉ. रिया गोयल, डॉ. हिमांशु कौशिक, डॉ. संग्राम भारद्वाज, श्री कुलदीप, डॉ. शिवप्रसाद महांति, डॉ. देवाशीष शतपथी, डॉ. देवीका श्रीनिवासन, डॉ. निखिल कौशिक, डॉ. सोनम अग्रवाल, डॉ. मोनिका तिवारी, प्रोफेसर आर. एन. शतपथी, प्रोफेसर रमाकांत रथ, प्रोफेसर अभय मिश्रा, डॉ. पल्लवी महांत, डॉ. रंजिता, डॉ. देवाशीष दास, डॉ. प्रियांशु त्रिपाठी, डॉ. सत्यसुंदर मित्र, डॉ. अक्षय कुमार, कौशिक कापुरिया, सौरभ बावेजा, गोपसुंदर बेहेरा, प्रीतम दास, देवप्रिय मित्र, आदित्य दलाई, श्यामसुंदर नायक, केदार बेहेरा और आकाश सामंतराय को भी सम्मानित किया गया।
समापन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तेजप्रताप ने अध्यक्षता की, जबकि कुलसचिव अनिल कुमार शर्मा मुख्य वक्ता और विभागीय डीन प्रो. प्रदीप पंडा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। डिप्टी डीन प्रो. दुर्गाप्रसाद दाश ने अतिथियों का स्वागत किया। संहिता विभागाध्यक्ष प्रो. के. टी. राउतराय ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया, जबकि डॉ. देवीका श्रीनिवासन एवं डॉ. मीरा पाणिग्राही मंच संचालन किया।