रांची: रिम्स में सफाई का काम देख रही एजेंसी अन्नपुर्णा यूटिलिटी सर्विसेज द्वारा दिए प्रतिवेदन में कई त्रुटियां पायी गई हैं। जिसपर जांच विचार किया जा रहा है। जांच में पाया गया है कि एजेंसी द्वारा EPF और ESIC, कर्मचारियों के अकाउंट में जमा नहीं किया जा रहा है और न ही इस सम्बन्ध में कोई विवरण दिया जा रहा है| साथ ही एजेंसी द्वारा विपत्र जमा करने में विलम्ब व अधूरा विपत्र जमा करने की वजह से भुगतान में देरी होती है| इसकी सूचना एजेंसी के कर्मचारियों को भी दी गयी है जिस से उनमें रोष है और इस बात की जानकारी एजेंसी को भी है|
विदित हो कि एजेंसी को EPF और ESIC जमा नहीं करने हेतु कार्यालय पत्रांक 458 दिनांक 26.03.2025 निर्गत किया गया था एवं मौखिक स्तर से भी अवगत कराया गया था| एजेंसी द्वारा समर्पित मार्च एवं अप्रैल 2025 के विपत्र में EPF एवं ESIC तथा अन्य बोनस से संबंधित चालान जमा नहीं किया गया है| इस क्रम में प्रबंधन के 24.05.2025 पत्रांक में उक्त चालान की राशि को तत्काल रोकते हुए विपत्र पारित करने का निर्णय लिया गया था| एजेंसी द्वारा EPF, ESIC तथा अन्य बोनस का चालान नहीं जमा करने का मुख्य कारण Reliever का भुगतान बताया गया है| हालाँकि विपत्र भुगतान के साथ Reliever का कोई भी उल्लेख नहीं है| रिम्स प्रबंधन द्वारा श्रम विभाग के नियमानुसार IPD विभाग एवं वैसे विभाग/इकाई जो रविवारीय अवकाश अथवा सार्वजनिक अवकाश के दिनों में भी संचालित/खुले रहते हैं उन विभागों में कार्यरत सफाईकर्मियों को महीने के अनुसार 30 अथवा 31 दिनों का पारिश्रमिक/ भत्ते के भुगतान कि स्वीकृति दी गई है। वहीं सामान्य व प्रशासनिक कार्यालय जो रविवार एवं सार्वजनिक अवकाश के दिनों में बंद रहते हो वहां के कर्मचारियों को अधिकतम 26 दिनों/वास्तविक कार्यदिवसों की गणना के अनुसार मासिक पारिश्रमिक का भुगतान किया जायेगा। इस सम्बन्ध में चिकित्सा उपाधीक्षक 1 द्वारा रिम्स में कार्यरत कुल सफाई कर्मियों में से IPD अथवा वैसे विभाग/ इकाई/हॉस्टल इत्यादि में कार्यरत संख्या बल का स्पष्ट प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है| इस प्रतिवेदन के अनुसार सफाई कर्मियों के मासिक पारिश्रमिक का भुगतान किया जायेगा| हालाँकि एजेन्सी द्वारा विभागावार कार्य करने वाले कर्मियों का उपस्थिति प्राप्त नहीं हुआ है| इस हेतु बार-बार बैठक भी करायी गई लेकिन कर्मियों की उपस्थिति विवरणी एजेंसी द्वारा प्रबंधन को उपलब्ध नहीं कराया गया है| एजेंसी को बार-बार सुधार करने तथा चालान की प्रति जमा करने एवं निर्देशों के बाद भी इस कार्य के प्रति लापरहवारी दर्शायी जा रही है| ऐसी स्थिति में संस्थान द्वारा किसी भी प्रकार का गलत भुगतान नहीं किया जा सकता है।