05 से 18 वर्ष आयुवर्ग के सभी बच्चों को विद्यालय में शत प्रतिशत उपस्थिति, नामांकन, ठहराव, उच्च कक्षाओं में Transition हेतु "स्कूल रूआर 2025 (Back to School Campaign) कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ अभियान गीत गाकर किया गया।

The Ranchi News
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रांची: उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी राँची, श्री मंजूनाथ भजंत्री ने अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय, राँची के नवनिर्मित सभागार में 05 से 18 वर्ष आयुवर्ग के सभी बच्चों को विद्यालय में शत प्रतिशत उपस्थिति, नामांकन, ठहराव, उच्च कक्षाओं में Transition हेतु “स्कूल रूआर 2025 (Back to School Campaign) कार्यक्रम का सम्बंधित पदाधिकारियों एवं माननीय सांसद प्रतिनिधि, माननीय विधायक प्रतिनिधि और प्रखण्ड प्रमुख के समक्ष दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ अभियान गीत “ले मसाले चल पड़े लोग मेरे गांव के” गीत के साथ शुभारम्भ किया गया।

इस कार्यशाला में जिला शिक्षा पदाधिकारी राँची, विनय कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक राँची, बादल राज, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सुरभि सिंह एवं जिला के सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रखंड प्रमुख, जिला परिषद के उपाध्यक्ष एवं शिक्षा विभाग से सभी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी के साथ साथ जिला परियोजना कार्यालय के पदाधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।

*जिला में बेहतर और गुणात्मक शिक्षा के लिए बेहतर प्रयास किए जा रहें*

उपायुक्त ने अपने सम्बोधन में कहा की जिला में बेहतर और गुणात्मक शिक्षा के लिए बेहतर प्रयास किए जा रहें है। इसके लिए शिक्षक एवं जन प्रतिनिधि की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ताकि शत प्रतिशत बच्चों का नामांकन विद्यालय में कराया जा सकें।

उपायुक्त ने अपने सम्बोधन में कहा की अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वाहन करते हुए बच्चों को गुणात्मक शिक्षा पर विशेष जोर दे ताकि बच्चों का भविष्य उज्जवल बने। झारखंड में “स्कूल रूआर कार्यक्रम” एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य उन बच्चों को वापस स्कूल लाना है जो किसी कारणवश शिक्षा से वंचित रह गए हैं या जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया है। “रूआर” का अर्थ है “फिर से लौटना”। इसलिए, यह कार्यक्रम बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में फिर से जोड़ने पर केंद्रित है।

*शिक्षक अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वाहन करें*

उपायुक्त ने कार्यक्रम के दौरान विशेष रूप से कहा की शिक्षक अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वाहन करते हुए बच्चों को बेहतर एवं गुणात्मक शिक्षा दे। सभी शिक्षक सामाजिक दायित्व समाज सेवा की भावना से बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाएं। जिला स्तर से शिक्षकों द्वारा पढ़ाई का मूल्यांकन प्रतिवर्ष कराया जाएगा। इंप्रूवमेंट नहीं होने पर सम्बंधित विद्यालय के शिक्षकों के ऊपर कार्रवाई की जाएगी। क्यों की लगभग 90 प्रतिशत बच्चें सरकारी विद्यालय में पढ़ते है, इसलिए शिक्षा की गुणवत्ता में ध्यान दे। साथ जन प्रतिनिधि भी अपनी जन सहभागिता निभाते हुए जो बच्चें स्कूल नही जा रहें है, उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करें। साथ उनका नामांकन कराने में अपनी सहभागिता निभाए। क्यों की सामूहिक सहभागिता से ही शिक्षा में गुणात्मक सुधार किया जा सकता है।

*विद्यालयों में नामांकन शत प्रतिशत हो कोई बच्चें छूटे नही*

उपायुक्त ने कहा की इस कार्यक्रम में सबकी अहम सहभागिता बनती है, बच्चों का नामांकन शत प्रतिशत हो, सभी बच्चें स्कूल जरूर आए, बच्चें स्कूल में ड्रापआउट ना हो, गुणात्मक शिक्षक के लिए बेहतर प्रयास करें। निश्चित रूप से बच्चों का नामांकन कराए। जिले में इससे सम्बंधित कई गतिविधि भी कराई जा रही है, ताकि नामांकन का प्रतिशत में बढ़ोतरी हो।

*कार्यक्रम के कुछ प्रमुख पहलू और उद्देश्य इस प्रकार हैं:*

*शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करना: कार्यक्रम का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि 5 से 18 वर्ष की आयु के सभी बच्चे सरकारी स्कूलों में नामांकित हों।*

*विद्यालयों में बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करना: केवल नामांकन ही पर्याप्त नहीं है, इसलिए यह कार्यक्रम नामांकित बच्चों की नियमित उपस्थिति और शिक्षा की निरंतरता पर भी जोर देता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करें और बीच में पढ़ाई न छोड़ें।*

*ड्रॉपआउट दर को कम करना: स्कूल रूआर कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य स्कूलों से बच्चों के ड्रॉपआउट (बीच में पढ़ाई छोड़ देना) की दर को कम करना है। इसके लिए कारणों की पहचान करना और उन्हें दूर करने के प्रयास करना शामिल है।*

*जागरूकता और प्रचार-प्रसार: इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न जागरूकता अभियान और प्रचार-प्रसार गतिविधियां आयोजित की जाती हैं ताकि बच्चों और उनके अभिभावकों को शिक्षा के महत्व के बारे में बताया जा सके और उन्हें स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जा सके। इसमें रैलियां, नुक्कड़ नाटक, घर-घर संपर्क और अन्य सामुदायिक गतिविधियां शामिल हो सकती हैं।*

*गैर-नामांकित बच्चों की पहचान: कार्यक्रम के तहत सर्वेक्षण और अन्य माध्यमों से उन बच्चों की पहचान की जाती है जो अभी तक स्कूल में नामांकित नहीं हैं। इसके बाद उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं।*

*पिछली कक्षाओं के बच्चों का अगली कक्षा में नामांकन: यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि पिछली कक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी बच्चे अगली कक्षा में अपना नामांकन कराएं और शिक्षा जारी रखें।*

*विभिन्न स्तरों पर कार्यान्वयन: स्कूल रूआर कार्यक्रम को राज्य स्तर, जिला स्तर, प्रखंड स्तर और विद्यालय स्तर पर व्यापक रूप से लागू किया जाता है।*

*सहयोग और समन्वय: इस कार्यक्रम की सफलता के लिए शिक्षा विभाग, शिक्षकों, अभिभावकों, समुदाय के सदस्यों और अन्य संबंधित हितधारकों के बीच सहयोग और समन्वय महत्वपूर्ण है। गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का भी सहयोग लिया जाता है।*

*कार्यक्रम 10 मई 2025 तक अभियान के रूप में चलेगा*

स्कूल रूआर कार्यक्रम झारखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जो राज्य के सभी पात्र बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करने और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह एक सतत प्रक्रिया है जो नियमित रूप से आयोजित की जाती है। वर्तमान में, यह कार्यक्रम 10 मई 2025 तक अभियान के रूप में चलेगा।

कार्यक्रम के बारे में जिला शिक्षा पदाधिकारी, रांची श्री विनय कुमार ने बच्चों को शिक्षा मौलिक अधिकार के बारे में संविधान में किए गए प्रावधान के बारे में विस्तार से बताया।

*”सीटी बजाओ अभियान 2.0 ASPIRE” एवं IDEAL NEP-2020 कार्यक्रम का शुभारंभ*

उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी राँची, मंजूनाथ भजंत्री के द्वारा “सीटी बजाओ अभियान 2.0 ASPIRE” एवं IDEAL NEP-2020 कार्यक्रम का शुभारंभ किया। IDEAL – NEP 2020 कार्यक्रम के माध्यम से नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अनुसार प्राथमिक कक्षाओं में गतिविधि आधारित शिक्षा लागू करने वाला रांची पहला जिला बना। +2 तक के सरकारी विद्यालय की व्यवस्था एवं उससे ऊपर इंजीनियरिंग/Medical/Business Management की व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार अभिभावक शुरू में अपने बच्चे को निजी विद्यालय में पढ़ाने पर जोर देते हैं, जबकि वहीं पेरेंट्स अपने बच्चे को उच्च शिक्षा के लिए सरकारी संस्थान में नामांकन पर जोर देते हैं, को सुधार इस प्रकार किया जाए कि पेरेंट्स शुरू से ही अपने बच्चे को सरकारी स्कूल/कॉलेज में पढ़ाने पर जोर दे । कार्यकम के दौरान बताया गया कि 2025-26 में जिले के 1003 वैसे बच्चे जो किसी भी विद्यालय में नहीं नामांकित हैं, उनका नामांकन कराते हुए उनका विद्यालय में ठहराव सुनिश्चित करने पर जोर देने का निर्देश दिया गया।

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