अतिक्रमण और गंदगी का अड्डा बना रांची कलेक्ट्रेट परिसर

The Ranchi News
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Ranchi : कचहरी रोड स्थित कलेक्ट्रेट ऑफिस यानी रांची जिला समाहरणालय में हर दिन हजारों लोग जरूरी काम से आते हैं, लेकिन यहां की बदहाली देखकर लगता है, जैसे यह किसी सरकारी दफ्तर का परिसर नहीं, बल्कि कूड़ा घर हो. उपायुक्त और एसएसपी के चैंबर के अलावा पूरा कलेक्ट्रेट बदहाल स्थिति में है.

हर कोना पान-गुटखे की पीक से रंगा

मुख्य गेट के पास ही अवैध रूप से बसे लोग खुलेआम गाली-गलौज करते मिल जायेंगे. हर कोना पान-गुटखे की पीक से रंगा पड़ा है. यहां तक कि वाटर प्यूरीफायर को भी पीकदान बना दिया गया है.

ब्लॉक-ए के ग्राउंड फ्लोर पर कचरा फैला हुआ है, जबकि ब्लॉक-बी के दूसरे और तीसरे फ्लोर पर कबाड़ का अंबार है. आवारा कुत्तों ने यहां अपना बसेरा बना लिया है.

रांची जिला समाहरणालय परिसर की अन्य तस्वीरों को देखने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

16 में से 12 लिफ्ट खराब, जान जोखिम में डाल कर लोग चढ़ने को मजबूर

कलेक्ट्रेट के ब्लॉक-ए और ब्लॉक-बी में कुल 16 लिफ्ट लगी है. इनमें से 12 लिफ्ट पूरी तरह खराब है. ब्लॉक-ए में जहां उपायुक्त (डीसी) बैठते हैं, वहां की आठ लिफ्टों में से चार ही चलती है. ये चार लिफ्ट सिर्फ अफसरों के लिए है.

लिफ्ट खराब पड़े रहने से आम जनता सीढ़ियों से जाने को मजबूर हैं. ब्लॉक-बी में तो हालत और भी बदतर हैं. यहां आठ में से सिर्फ एक लिफ्ट ही चालू है, लेकिन उसमें चढ़ने से पहले ही लोग डर जाते हैं कि कहीं फंस न जाएं.

शौचालय भी आम जनता के लिए बंद!

कलेक्ट्रेट ऑफिस में जनता के लिए बने शौचालयों की हालत भी बदतर है. ब्लॉक-ए के ग्राउंड फ्लोर पर सभी शौचालय मेंटेनेंस के नाम पर बंद पड़े हैं. ब्लॉक-बी में महिला शौचालय पर भी ताला जड़ा है. मजबूरन लोग या तो इधर-उधर शौच करते हैं या फिर 5-10 रुपये देकर टॉयलेट जाने को मजबूर हैं.

लिफ्ट अफसरों के लिए, जनता धक्का खाने को मजबूर

अगर कोई अधिकारी आ रहे हों, तो आम लोगों को लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता. चाहे कोई बुजुर्ग हो या दिव्यांग, उन्हें जबरन रोका जाता है. अधिकारी के पहुंचने तक इंतजार करो या फिर सीढ़ियों से जाओ, यही नियम बना दिया गया है.

जिला प्रशासन की अनदेखी कब तक?

जिला प्रशासन की यह लापरवाही कब तक जारी रहेगी. कब तक आम जनता को गंदगी, खराब लिफ्ट और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ेगा. यह सवाल सिर्फ कलेक्ट्रेट आने वाले लोगों का ही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर है.

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