लोहरदगा, झारखंड – 16 फरवरी 2025 – झारखंड के लोहरदगा जिले में इस साल का “आदिवासी महोत्सव 2025” बड़े धूमधाम से मनाया गया। यह महोत्सव आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और लोक कलाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। हजारों लोगों की भीड़ इस कार्यक्रम में शामिल हुई और झारखंड की समृद्ध आदिवासी विरासत का आनंद लिया।

🎭 सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
महोत्सव में संथाल, उरांव, मुंडा, और हो जनजातियों के पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए गए। विशेष रूप से “पाइका नृत्य” और “छऊ नृत्य” ने लोगों का मन मोह लिया। इन नृत्यों में आदिवासी वीरता और परंपरा की झलक देखने को मिली।
🎶 संगीत और वाद्ययंत्र प्रदर्शन:
- बांसुरी, मांदर, ढोल और नगाड़ों की धुनों ने पूरे माहौल को संगीतमय बना दिया।
- स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक झारखंडी गीत गाकर लोगों का मनोरंजन किया।
🎨 हस्तशिल्प और कला प्रदर्शन:
- लकड़ी की नक्काशी, आदिवासी आभूषण, और हस्तनिर्मित कपड़ों की प्रदर्शनी आयोजित की गई।
- ग्रामीण शिल्पकारों ने अपने उत्पादों की बिक्री की, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूती मिली।
🍛 पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद
महोत्सव में झारखंड के प्रसिद्ध आदिवासी व्यंजनों के स्टॉल भी लगाए गए। लोग “धुस्का”, “पिठा”, “सेदो पेज”, “मड़ुआ रोटी” और “हड़िया” जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थों का आनंद लेते दिखे।
🏹 परंपरागत खेलों का आयोजन
महोत्सव में आदिवासी पारंपरिक खेलों का भी आयोजन किया गया। तीरंदाजी प्रतियोगिता सबसे आकर्षक रही, जिसमें झारखंड के अलग-अलग हिस्सों से आए तीरंदाजों ने हिस्सा लिया।
अन्य खेल:
✔️ रस्साकशी
✔️ कुश्ती (पहलवानी)
✔️ कबड्डी

🌟 मुख्य अतिथियों की उपस्थिति और घोषणाएं
इस महोत्सव में झारखंड सरकार के मंत्री, स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रसिद्ध कलाकार शामिल हुए।
🗣️ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (मुख्य अतिथि):
“आदिवासी महोत्सव हमारी संस्कृति की पहचान है। इसे और भव्य बनाने के लिए सरकार हर संभव सहयोग करेगी। आदिवासी युवाओं को रोजगार और शिक्षा के बेहतर अवसर देने के लिए नई योजनाएं लाई जाएंगी।”
🗣️ संस्कृति मंत्री:
“हमारे पारंपरिक खेलों और लोक कलाओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए हम विशेष योजनाएं बना रहे हैं।”
📌 निष्कर्ष
लोहरदगा का “आदिवासी महोत्सव 2025” एक ऐतिहासिक आयोजन साबित हुआ, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया और आदिवासी संस्कृति की झलक देखी। यह महोत्सव न सिर्फ झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का प्रयास है, बल्कि आदिवासी कलाकारों और शिल्पकारों को एक बड़ा मंच देने का भी बेहतरीन अवसर बना।
🎭🎶 “संस्कृति बचाओ, परंपरा निभाओ!” 🏹🔥