बेंगलुरु, 15 जुलाई 2025 – भारत ने विज्ञान और ऊर्जा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी उपलब्धि हासिल कर ली है! भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक ‘कृत्रिम सूर्य’ (Artificial Sun) का परीक्षण किया है, जो अनंत ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता रखता है।
इस परियोजना का नाम ‘सूर्य-एक्स’ (Surya-X) रखा गया है और यह परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) तकनीक पर आधारित है। इससे भारत न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याओं से भी निजात पा सकेगा।
क्या है ‘कृत्रिम सूर्य’ और कैसे करता है काम?
🌞 ‘कृत्रिम सूर्य’ एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला-निर्मित रिएक्टर है, जो सूर्य की तरह हाइड्रोजन परमाणुओं के संलयन (Fusion) से ऊर्जा उत्पन्न करता है।
🔹 यह एक विशाल टोकामक (Tokamak) रिएक्टर है, जिसमें 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक तापमान उत्पन्न किया जा सकता है—जो असली सूर्य से भी 10 गुना अधिक गर्म है!
🔹 यह नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) तकनीक पर आधारित है, जिसमें हाइड्रोजन आइसोटोप (Deuterium और Tritium) आपस में मिलकर हीलियम और अपार ऊर्जा का निर्माण करते हैं।
🔹 यह पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में अधिक सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है, क्योंकि इसमें रेडियोधर्मी कचरा नहीं निकलता।
कैसे हुआ भारत का पहला सफल परीक्षण?
🚀 इस परीक्षण को भारतीय वैज्ञानिकों की 10 वर्षों की मेहनत के बाद सफलतापूर्वक बेंगलुरु स्थित विक्रम साराभाई अनुसंधान केंद्र में किया गया।
🔬 प्रयोग के दौरान टोकामक रिएक्टर में 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ाया गया और 30 सेकंड तक निरंतर ऊर्जा उत्पादन किया गया।
💡 वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले कुछ वर्षों में इसे 24 घंटे लगातार चलने वाले ऊर्जा स्रोत के रूप में विकसित किया जा सकता है।
‘कृत्रिम सूर्य’ से भारत को क्या फायदे होंगे?
⚡ अक्षय ऊर्जा का सबसे शक्तिशाली स्रोत – यह पृथ्वी पर अनंत ऊर्जा उपलब्ध कराने की क्षमता रखता है।
🌿 पर्यावरण संरक्षण – यह ऊर्जा उत्पादन में कोई ग्रीनहाउस गैस या रेडियोधर्मी कचरा नहीं छोड़ता।
💰 सस्ती बिजली – इससे भारत में बिजली बिल 50% तक कम किया जा सकता है।
🚀 अंतरिक्ष मिशन में उपयोग – इसरो इस तकनीक को मंगल और चंद्रमा जैसे मिशनों में उपयोग करने की योजना बना रहा है।
🏭 औद्योगिक क्रांति – इससे भारतीय उद्योगों को सस्ती और स्थायी ऊर्जा मिल सकेगी।
दुनिया में भारत की इस खोज पर क्या प्रतिक्रिया है?
🌍 अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप के वैज्ञानिकों ने भारत की इस उपलब्धि की सराहना की और इसे ‘21वीं सदी की सबसे बड़ी वैज्ञानिक छलांग’ बताया।
🇫🇷 फ्रांस में चल रहे ITER (International Thermonuclear Experimental Reactor) प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों ने कहा कि भारत की सफलता इस क्षेत्र में एक नई दिशा दे सकती है।
🔬 अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA और यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने भी भारत के साथ इस तकनीक पर सहयोग की इच्छा जताई है।
क्या है भारत की अगली योजना?
📌 2030 तक भारत पूरी तरह से परमाणु संलयन से बिजली उत्पादन शुरू करने की योजना बना रहा है।
📌 भारत सरकार ने 5000 करोड़ रुपये के निवेश से ‘कृत्रिम सूर्य’ परियोजना को और आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
📌 ‘सूर्य-एक्स 2.0’ नामक नए मॉडल पर काम शुरू हो चुका है, जो 10 घंटे तक लगातार ऊर्जा उत्पादन करने में सक्षम होगा।
📌 इस तकनीक को ‘मिशन सूर्य शक्ति’ के तहत भारत के ऊर्जा ग्रिड से जोड़ा जाएगा।
निष्कर्ष
🔥 भारत का ‘कृत्रिम सूर्य’ अब विज्ञान की कल्पना नहीं, बल्कि वास्तविकता बन चुका है।
🌍 इससे भारत न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान भी करेगा।
🚀 अब दुनिया देखेगी – भारत न सिर्फ भविष्य की कल्पना करता है, बल्कि उसे सच में बदलने की ताकत भी रखता है! 🇮🇳