चतरा में पानी की किल्लत बनी बड़ी समस्या, गर्मी शुरू होते ही बढ़ी परेशानी 🚰🌞

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चतरा, झारखंड – 18 फरवरी 2025 – झारखंड के चतरा जिले में गर्मी की शुरुआत होते ही पानी की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। कई गांवों और शहरी इलाकों में हैंडपंप और कुएं सूखने लगे हैं, जिससे लोग लंबी दूरी तय कर पानी लाने को मजबूर हैं। स्थानीय लोग और प्रशासन इस संकट से निपटने के उपाय तलाश रहे हैं, लेकिन स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है।

🚰 पानी के संकट से जूझ रहा चतरा

 

चतरा जिले के इटखोरी, गिद्धौर, हंटरगंज और टंडवा जैसे इलाकों में पानी की समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। गांवों में कई चापाकल और कुएं सूख चुके हैं और जो बचे हैं, उनमें से भी अधिकतर से बहुत कम पानी आ रहा है।

💧 प्रमुख कारण:
✔️ गर्मी की शुरुआत – फरवरी से ही तापमान बढ़ने लगा है, जिससे जलस्तर गिर रहा है।
✔️ जल संरक्षण की कमी – जिले में तालाबों और जलाशयों की सही देखभाल नहीं की जा रही, जिससे पानी जल्दी खत्म हो रहा है।
✔️ गहराते भूजल संकट – अंधाधुंध बोरवेल और जल दोहन के कारण भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।
✔️ कम बारिश – पिछले कुछ सालों में मानसून कमजोर रहा, जिससे पानी की उपलब्धता घटी है।

🚨 जनता की परेशानियां बढ़ीं, पानी के लिए हाहाकार

 

गांवों में महिलाएं और बच्चे कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने को मजबूर हैं।

🗣️ स्थानीय निवासी, संगीता देवी कहती हैं:
“हर दिन हमें 2-3 किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाना पड़ता है। सरकार से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”

🗣️ हंटरगंज के किसान रामलाल यादव बताते हैं:
“हमारी खेती पूरी तरह से बारिश और भूजल पर निर्भर है। अगर पानी नहीं मिला, तो इस बार फसल खराब हो जाएगी।”

🏛️ प्रशासन ने दिए हल निकालने के आदेश

 

चतरा जिला प्रशासन ने जल संकट को देखते हुए कुछ उपायों पर काम शुरू किया है।

✔️ पेयजल टैंकरों की व्यवस्था – पानी की आपूर्ति के लिए टैंकर भेजे जा रहे हैं।
✔️ बंद पड़े हैंडपंपों की मरम्मत – कई पुराने चापाकलों की मरम्मत की जा रही है।
✔️ नए जल स्रोतों की खोज – प्रशासन नए बोरवेल और तालाबों के निर्माण की योजना बना रहा है।
✔️ जल संरक्षण अभियान – लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

🔚 समाधान की जरूरत

 

अगर समय रहते चतरा में जल संरक्षण के सही उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले महीनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। प्रशासन और जनता को मिलकर जल संचयन, वर्षा जल संग्रहण और भूजल स्तर सुधारने के प्रयास करने होंगे।

🌿 “जल है तो कल है!” 💧🌎