गिरिडीह में ऐतिहासिक पारसनाथ पर्वत को बचाने की मुहिम तेज़, पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों का बड़ा आंदोलन 🌿⛰️

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गिरिडीह, झारखंड – 16 फरवरी 2025 – झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पर्वत, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर और अन्य तीर्थंकरों की तपोस्थली माना जाता है, को बचाने के लिए स्थानीय लोग और पर्यावरणविद् एकजुट हो गए हैं। यह पहाड़ केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक पर्यावरणीय धरोहर भी है, जिसे खनन और अनियंत्रित पर्यटन के कारण नुकसान पहुंच रहा है।

गिरिडीह के हजारों लोग, जैन समुदाय और पर्यावरण प्रेमी “पारसनाथ बचाओ आंदोलन” के तहत प्रदर्शन कर रहे हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस क्षेत्र को “संरक्षित पर्यावरणीय क्षेत्र” (Eco-Sensitive Zone) घोषित किया जाए।

🌿 पारसनाथ पर्वत: आस्था और पर्यावरण का संगम

 

पारसनाथ पर्वत (श्री सम्मेद शिखरजी) जैन धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे “जैन धर्म का मोक्षधाम” भी कहा जाता है, क्योंकि 24 में से 20 तीर्थंकरों ने यहीं मोक्ष प्राप्त किया था।

🌳 वन्यजीव और जैव विविधता:
यह इलाका गिरिडीह के जंगलों का हिस्सा है, जहां दुर्लभ वनस्पतियां, औषधीय पौधे और जंगली जानवर पाए जाते हैं।

🛕 धार्मिक स्थल:

  • जैन समुदाय के लाखों श्रद्धालु हर साल यहां पारसनाथ यात्रा के लिए आते हैं।
  • यहाँ स्थित भगवान पार्श्वनाथ मंदिर और अन्य प्राचीन जैन मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं।

🏗️ कैसे बदलेगी बोकारो की अर्थव्यवस्था?

 

बोकारो हमेशा से ही झारखंड का औद्योगिक केंद्र रहा है, और यह नया विस्तार यहां की अर्थव्यवस्था में नया बदलाव लाएगा।

📈 रोजगार बढ़ेगा: नए स्टील प्लांट में तकनीकी विशेषज्ञों, इंजीनियरों, मजदूरों और प्रबंधकों के लिए नौकरियां मिलेंगी।
📈 स्थानीय व्यापार को मिलेगा बढ़ावा: होटल, रियल एस्टेट, परिवहन, और अन्य व्यवसायों को सीधा लाभ होगा।
📈 बोकारो में शिक्षा और कौशल विकास बढ़ेगा: प्लांट के विस्तार से तकनीकी शिक्षा और ट्रेनिंग सेंटर्स की मांग बढ़ेगी।

💪 ‘पारसनाथ बचाओ आंदोलन’ में जनता की भागीदारी

गिरिडीह के स्थानीय लोग, जैन समुदाय और पर्यावरणविद इस इलाके को बचाने के लिए बड़े आंदोलन की शुरुआत कर चुके हैं।

🪧 मुख्य मांगें:
✔️ पारसनाथ पर्वत को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।
✔️ अवैध खनन और निर्माण कार्य पूरी तरह बंद किए जाएं।
✔️ यहाँ आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सख्त नियम बनाए जाएं, जिससे कचरा न फैले।
✔️ वन्यजीवों और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।

🗣️ स्थानीय नेताओं और पर्यावरणविदों की राय

 

🗣️ गिरिडीह के जैन समाज प्रमुख, सुनील जैन:
“यह केवल आस्था का सवाल नहीं, बल्कि पर्यावरण का भी विषय है। अगर यह पर्वत नष्ट हो गया, तो हमारी धार्मिक और प्राकृतिक धरोहर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।”

🗣️ पर्यावरण कार्यकर्ता, श्यामल बोस:
“खनन और अवैध निर्माण से यहां का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। सरकार को इसे तुरंत रोकना होगा।”

🗣️ स्थानीय दुकानदार, रमेश वर्मा:
“हम चाहते हैं कि पर्यटन हो, लेकिन यह भी जरूरी है कि पर्यावरण सुरक्षित रहे। सरकार को नियम बनाकर इसे संतुलित करना चाहिए।”

🔚 निष्कर्ष

 

गिरिडीह का पारसनाथ पर्वत धार्मिक और प्राकृतिक धरोहर दोनों है। इसे बचाने के लिए लोगों की एकजुटता ने सरकार को भी हरकत में ला दिया है। यदि यह अभियान सफल रहा, तो पारसनाथ न केवल एक पवित्र तीर्थ स्थल बना रहेगा, बल्कि झारखंड का सबसे सुंदर पर्यावरणीय पर्यटन केंद्र भी बन सकता है।

🌿 “संस्कृति बचाओ, प्रकृति बचाओ!” ⛰️💚